पैसा और रिश्ते (Paisa Aur Rishte) दोनों ही हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है। यह एक माध्यम है, जो समाज के नियमो के अनुसार चीजों और सेवाओं का आदान प्रदान करने में हमारी मदद करता है। पर क्या वाकई पैसा हमारे जीवन में इसी तरह व्याप्त है? क्या पैसा का महत्व सिर्फ माध्यम के तौर पर ही है? क्या पैसा हमारे रिश्तों को, हमारे व्यवित्व को, हमारे व्यवहार को प्रभावित नही करता? आज इन्ही सवालों पर प्रकाश डालने की कोशिश करेंगे।
पैसे का मनोविज्ञान – Paisa Aur Rishte
पैसा यानी धन के मनोविज्ञान को समझने के लिए आप ये समझिए की, एक सुंदर सी गाडी है जो रोड पर
खडी है। पर वो गाडी तब तक बेकार है जब तक उसको चलाने वाला ईंधन उसके अंदर मौजूद न हो। ठीक
ऐसे ही पैसा हमारे जीवन में सिर्फ एक ईंधन है। न इससे ज्यादा न इससे कम। जैसे गाडी की पहचान
उसके अंदर मौजूद ईंधन से नही की जाती, ठीक वैसे ही किसी भी व्यक्ति पहचान इस बात से नही
होनी चाहिए की उसके पास कितना धन है। पैसा बहुत जरूरी हिस्सा है हमारे जीवन का,
जैसे गाडी के लिए ईंधन जरूरी है।
पर हमारा पूरा जीवन सिर्फ पैसा के ईर्द गिर्द नही घूमना चाहिए।
पैसा हमारे जीवन में बहुत अंदर तक प्रविष्ठ हो गया है। रिश्ते,
फैसले, व्यवित्व, छवि सबकुछ को प्रभावित करने लगा है। पैसा एक संक्रमण की तरह समाज के चित्त
में घुस गया है। ये बहुत विकट स्तिथि है, जब समाज में पैसा यानी धन से बडा कोई मूल्य ना बचे।
हम पैसों से इतने प्रभावित या यूं कहे की बीमार हो चुके है। की हम अपने नई पीढी को भी संक्रमित कर रहे
है। स्कूलों, कॉलेजों में बच्चो को पैसा ही सिखाया जा रहा है। प्रेम, करुणा, त्याग, इन सारे मूल्यों को पैसे ने
शिक्षा के सभी संसाधनों से बाहर कर दिया है।
पैसे का मनोविज्ञान – Paisa Aur Rishte
हमारे समाज में एक नई हवा चलने लगी है। चुकी हमारे लिए अब पैसा ही सबसे बडा मूल्य बन चुका है, तो
जिन के पास सबसे ज्यादा पैसा हैं वो समाज के रोल मॉडल बन गए है। पुराने आदर्श जिन के लिए प्रेम
और करुणा सबसे बडा मूल्य था। उन्हेंअब ये समाज आधुनिक नही समझता।
पैसे का अपना मूल्य है, जैसे ईंधन का है। पर पैसा कभी भी सबसे बडा मूल्य नहीं हो सकता। समाज जब
जागरूक होता है, तो पैसा बहुत होता है पर वो सिर्फ ईंधन की तरह इस्तेमाल होता है। पैसा आपको एक
नया साउंड बॉक्स लाकर तो दे सकता है, पर पैसा आपको नाचने का आनंद नही दे सकता।
याद रहे, पैसा जरूरी है। क्योंकि भिखारी आदमी भी आनंदित नही हो सकता और जो पैसे से ऊपर नहीं उठ पा रहा वो
भी आनंदित नही हो सकता। जैसे गाडी को चलाने के लिए पर्याप्त मात्रा में पेट्रोल होना चाहिए, वैसे ही
एक सुखद जीवन के लिए भी पर्याप्त मात्रा में पैसा होना चाहिए।
पैसा और रिश्ते (Paisa Aur Rishte)
हमारे रिश्ते पैसे से कितना प्रभावित होते है। कभी आपने इस बात पर गौर किया? रिश्तों का जो फैलाव
है उसका एक कारण पैसा है। असली और सच्चे रिश्ते में पैसे का प्रभाव नहीं होता।
आज के आधुनिक समाज में पैसे ने लोगो को अपना चेहरा बदलने की सुविधा प्रदान कर दी है। लोग
झूठी पहचान बनाते है और इंसानों के भावनाओ के साथ खेलते है। जज्बात, प्रेम, लगाव इन सब को एक
कमजोरी की तरह प्रस्तुत किया जा रहा और पैसा को एक उपलब्धि की तरह।
रिश्ते मनुष्यों का वो हिस्सा है जिसके लिए वो जीता चला जाता है। आप अगर सोचे की क्या है जो
आपको चला रहा है, वो क्या है जिस के लिए आप जी रहे है। पैसा? बिल्कुल नही, आप अपने लोगो के
लिए, खुद के लिए जी रहे है। आपके जीने का असली motivation वो लोग है जिन से आप प्रेम करते है।
एक आदमी के लिए उसके असली रिश्ते से बडा कुछ नही है। पर आज के आधुनिक समाज में पैसा
रिश्तों की जगह ले रहा है। पैसों के लिए लोग रिश्ते तोड ले रहे हैं , लोग एक दूसरे को दुख दे रहे हैं सिर्फ पैसों
के लिए।
पैसा कोट्स || Quotes on Money
” यदि आपके पास धन नहीं है, तो आपकी निंदा की जाती है; आपका पूरा जीवन एक अभिशाप बन
जाता है, और आप अपने पूरे जीवन में किसी भी तरह से पैसा पाने की कोशिश करते रहते हैं। यदि
आपके पास पैसा है, तो यह मूल चीज़ नहीं बदलता है: आप अभी भीऔर अधिक चाहते हैं, और अधिक
चाहने का कोई अंत नहीं है। “
— ओशो
” यदि पैसा व्यक्तियों के हितों में नहीं है, तो पैसा एक सुंदर चीज हो सकती है, अगर यह कम्युनिटी का
हिस्सा है, समाजों का हिस्सा है, और समाज हर किसी का ख्याल रखता है। “
—ओशो
“पैसा एक जरिया हो सकता है जीवन को संपन्न बनाने का अगर पैसा व्यक्तियों के पास ना हो।
क्यूंकि व्यक्ति अपनी मूर्खता में पैसों का गुलाम बन जाता है, अब पैसा उस व्यक्ति के जीवन के सभी हिस्सों को प्रभावित करेगा। ” -ओशो
पैसा जरुरी है, पर सिर्फ पैसा ही जरुरी नहीं है। जीवन में और भी बहुत सी ख़ूबसूरत चीज़ें हैं।
आनंदित रहने के लिए पैसा जरूर चाहिये पर पैसे से आनंद नहीं ख़रीदा जा सकता।
आप पैसे को उसके मूल्य के हिसाब से आदर दीजिये।
ना ही उसकी निंदा कीजिये और ना ही उसको अपने जीवन में संक्रमण की तरह से फैलाइये।
पैसा पॉकेट में हो तो ठीक पर अगर वो चित्त में जाकर बैठ जाए तो ये खतरनाक हो सकता है। (Paisa Aur Rishte)
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