Biography of APJ Abdul Kalam in Hindi

“बन जाती है परिभाषा भारत के सम्मान की जब-जब बात आती है राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की”

दोस्तों आज हम Biography of APJ Abdul Kalam in Hindi की बात करने वाले हैं वैसे तो उन्हें किसी पहचान की जरूत नहीं, पर उनके बारे में बात करना या पड़ना हमारे लिए हमारे निजी जीवन के लिए जरुरी हो जाता है, क्यूंकि उनकी विचारधारा ही कुछ ऐसी थी जिससे प्रभावित हुए बिना कोई भी शख्स नहीं रह पाता है और उनके विचारों को आज मोटिवेशन के तौर पर अलग-अलग पुस्तकों, अध्यायों एवं हर उस जगह पाते हैं जहा हमे एक सही गाइडेंस की जरूरत होती है। अब तक तो आप समझ ही चुके होंगे की जिनकी हम बात कर रहे हैं वो और कोई नहीं बल्कि हमारे देश के फॉर्मर प्रेजिडेंट और हम सबके अतिप्रिय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम हैं।

Biography of APJ Abdul Kalam in Hindi

वैसे तो डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम किसी पहचान के मोहताज नहीं पर क्या इन्हे ये नाम, ये ख्याति, ये प्रसिद्धि यूँही मिल गयी रातों रात? नहीं इन सबके पीछे छिपा है उनका कई सालो का संघर्ष, उनकी मेहनत, उनकी लगन, उनका आत्मविश्वास इन सबके बारे मे आज हम बात करेंगे अपने इस आर्टिकल में तो बने रहिये हमारे साथ।

प्रारम्भिक जीवन और शिक्षाBIOGRAPHY OF APJ ABDUL KALAM IN HINDI

एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम है

इनका जनम 15 अक्टूबर 1931 को पम्बन द्वीप पर रामेश्ववरम के तीर्थस्थल तमिलनाडु राज्य के

एक तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ। उनके पिता एक नाव के मालिक और एक स्थानीय मस्जिद के इमाम थे

, उनकी माँ आशियम्मा एक गृहणी थी, इनके पिता रामेश्ववरम में आये तीर्थयात्रियों को अपनी नौका से

रामेश्ववरम मंदिर तक लाने और पहुंचाने का काम करते थे।

एपीजे अब्दुल कलाम के जनम के समय इनका परिवार बहुत गरीबी में दिन बीता रहा था

जो पहले काफी समृद्ध हुआ करता था परन्तु कुछ आर्थिक संकटो के कारण इन्हे गरीबी का मुँह देखना पड़ा।

जब कलाम बड़े हुए तो युवावस्था में उन्होंने अपने परिवार की आर्थिक सहायता करने के लिए समाचार पत्र भी बेचे।


अपने स्कूल के दिनों में कलाम एवरेज स्टूडेंट थे लेकिन उन्हें एक उज्जवल और मेहनती छात्र के रूप में देखा जाता था।

उन्होंने अपनी पढ़ाई, खासतौर से मैथ्स पर बहुत अधिक ध्यान दिया और अपनी पढ़ाई स्च्वार्त्ज़ हायर सेकेंडरी स्कूल, रामनाथ पुरम में पूरी करी।

बाद में उन्होंने St. जोसफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली में एडमिशन लिया जो पहले मद्रास यूनिवर्सिटी से सम्बंधित था

वहां से उन्होंने 1954 में भौतिकी में ग्रेजुएशन किया। यहां कलाम की मुलाक़ात K. Raju. S. Annamalai से हुई जो उनके शिक्षक थे।

कलाम ने अपनी साइंस और टेक्नोलॉजी में हमेशा अपने अब्बा के उसूलो पर चलने की कोशिश की

क्यूंकि उनका मानना था की कोई उनसे उप्पर भी है जो उनको मुसीबतो और नाकामयाबियों से बाहर निकालती है।

कलाम को आसमान में उड़ने और आसमान में उड़ते हुए पंछियो को देखना हमेशा से बहुत प्रभावित करता था,

कलाम फिजिक्स से बीएससी करने के बाद आगे बड़े तो उन्हें समझ में आया के उन्हें फिजिक्स में कोई इंट्रस्ट नहीं था

बल्कि उन्हें तो इंजीनियरिंग में जाना था, किसी तरह कोशिश करके कलाम का नाम मद्रास इंजीनीयरिंग

और टेक्नोलॉजी में कैंडिडेट लिस्ट में तो आ गया लेकिन वहाँ की फीस बहुत मेहेंगी थी

जिसे भरने के लिए उनकी बहिन और अक्का ने अपने गहने और जेवर गिरवी रख

दिए तब कहीं जाके उनकी फीस का इंतज़ाम हो पाया।

कलाम एयरफोर्स ज्वाइन करना चाहते थे परन्तु 25 कैंडिडेट्स में से कलाम का नंबर 9वें स्थान पर आया

जो उनके लिए काफी निराशाजनक था.फिर इसके बाद इन्होने डिफेन्स में इंटरव्यू दिया जहां उनका सिलेक्शन हो गया

सीनियर साइंटिफिक असिस्टेंट की पोस्ट पर और तब उनकी सैलरी 250 /- रुपये प्रति माह होती थी वहां उन्होंने ३ साल काम किया उसके बाद उन्हें एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट (ADE) में ट्रांसफर कर दिया गया था जो बैंगलोर में नया ओपन हुआ था.

वहां उन्हें 3 सालो में एक सवदेशी होवर तैयारकरने का काम सौपा गया जो उन्होंने और उनकी टीम ने मिलकर समय से पहले पुरस्कार लिया उस होवर का नाम नंदी रखा गया और उसका डिज़ाइन कलाम और उनकी टीम की एक्सपेक्टेशंस की उमीदो से कही अच्छा बना था लेकिन ADE की आपसी कंट्रोवर्सी के चलते इस प्रोजेक्ट को उड़ान भरने की कभी मंज़ूरी नहीं मिली जिससे कलाम बहुत अधिक मायूस हो गए थे।

साल 1962 में INCOSPAR में उन्हें राकेट इंजीनियरिंग की पोस्ट पर शामिल कर लिया गया था,

इन्होने “थुम्बा” नाम के एक गाँव केरल, त्रिवेंद्रम में दूर स्थित एक छोटा सा गाँव है,

वहाँ राकेट लांच स्टेशन बनाने का फैसला किया गया. भारत में ये मॉडर्न राकेट बेस्ड रिसर्च के एक छोटी सी शुरुआत थी.

कलाम को NASA भेजा गया 6 महीनो के लिए जहां उन्हें राकेट लॉन्चिंग की ट्रेनिंग लेनी थी.

कलाम के NASA से वापिस लौटते ही भारत ने अपना पहला साउंडिंग राकेट जिसका नाम “Apache Nike” रखा गया था,

21 नवंबर 1963 को सक्सेस्स्फुली लांच किया।

इस मिशन से खुश होक प्रोफेसर साराभाई ने कलाम को दिल्ली बुलवाया, जहां उनकी मुलाक़ात ग्रुप कप्तान V. S. Narayanan से हुई. प्रोफेसर साराभाई ने कलाम और वी. एस. नारायणन से एक RATO तैयार करने का आग्रह किया जो एक मिलिट्री एयरक्राफ्ट की मदद से उड़ाया जा सके। RATO का मतलब होता है “Rocket Assistant Take Off” जो छोटी सी जगह से भी उड़ सके और कलाम को उस टीम का सुपरवाइजर या लीडर कह लीजिये बनाया गया. इससे कलाम काफी खुश थे .

साल 1969 में, कलाम को ISRO में ट्रांसफर कर दिया गया जहां वे SLV-3 के डायरेक्टर थे,

जिसने जुलाई 1980 में “रोहिणी” नामक उपग्रह को पृथ्वी की निकट की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया।

कलाम ने 1963 से 1964 तक Virginia के Hampton में NASA के

LONGLY Research Center Wallops फ्लाइट फैसिलिटी के दौरे किये।

1965 में कलाम ने पहली बार DRDO में स्वतंत्र रूप से एक वितरणीय राकेट परियोजना पर काम किया।

साल 1969 में , कलाम को सरकार ने आज्ञा दे दी और ज्यादा से ज्यादा engineers को शामिल करने का काम शुरू हुआ.

साल 1970 से 1990 के बीच कलाम ने PSLV और SLV-3 परियोजनाओं को डेवेलप करने का प्रयास किया और वो इसमें सफल भी हुए.

कलाम ने जुलाई 1992 से दिसंबर 1999 तक प्रधान मंत्री के ख़ास साइंटिस्ट एडवाइजर और DRDO के सचिव के रूप में काम किया।

इसी दौरान पोखरण द्वितीय परमाणु परिक्षण किये गए जिसमे उनकी टेक्निकल और पॉलिटिकली एहम भूमिका रही.

इस दौरान मीडिया ने उन्हें देश का सबसे फेमस परमाणु साइंटिस्ट बना दिया।

इसके अलावा साल 1998 में हार्ट स्पेशलिस्ट डॉ. सोमो राजू के साथ मिलकर

कम लागत वाली ‘CORONARY STENT’ बनायी जिसका नाम ‘कलाम-राजू स्टेंट ‘ रखा गया.

इसके बाद 2012 में, दोनों ने ग्रामीण एरियाज के हेल्थ इश्यूज को देखते हुए एक सॉलिड टेबलेट कंप्यूटर तैयार किया

इसका नाम भी उन्होंने अपने नाम पर ही रखा.

PRESIDENT के रूप में (Biography of APJ Abdul Kalam in Hindi)

कलाम देश के 11वें PRESIDENT बने, जिन्होंने लक्ष्मी सहगल से जीत हासिल की, वो 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक प्रेजिडेंट ऑफ़ इंडिया रहे.

कलाम हमारे देश के तीसरे ऐसे प्रेजिडेंट थे जिन्हे भारत के सर्वोच्च नागरिक यानिकि “भारत रत्न” का सम्मान मिला।

उनसे पहले ये सम्मान डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और ज़ाकिर हुसैन जी को मिल चुका था.

उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान 21 क्षमा याचिकाओं में से केवल एक पर ही कार्यवाही की थी

जिसके लिए उन्हें काफी आलोचनाओ का सामना भी करना पड़ा.

साल 2003 सितम्बर में PGI चंडीगढ़ को सम्बोधित करते हुए एक सेशन में उन्होंने देश

की जनसँख्या को ध्यान में रखते हुए यूनिफार्म सिविल कोड का समर्थन किया।

कलाम ने अपने कार्यकाल के अंत में 20 जून 2007 को दूसरे कार्यकाल पर विचार करने की इच्छा व्यक्त की थी,

हालांकि उसके 2 दिन बाद ये फैसला लिया के वे दुबारा प्रेजिडेंट इलेक्शन नहीं लड़ेंगे,

क्यूंकि वो किसी भी पोलिटिकल एजेंडा से राष्ट्रपति भवन को शामिल करने से बचाना चाहते थे.

उन्हें United National Progressive Alliance के नेता जे. जयललिता और समन्वयक चंद्रबाबू नायडू,

मुलायम सिंह यादव तथा ओम प्रकाश चौटाला द्वारा ये प्रस्ताव दिया गया था , लेकिन शिवसेना और UPA का समर्थन नहीं मिला।

कलाम के बाद हमारे देश की 12वीं प्रेजिडेंट प्रतिभा देवी सिंह पाटिल बनीं

जिनका कार्यकाल 24 जुलाई 2012 को समाप्त होने वाला था, उसी दौरान मीडिया में ये रिपोर्ट आयी थी

की कलाम को उनके दूसरे कार्यकाल के लिए नामांकित करने की पूरी संभावना है.

बीजेपी ने संभावित रूप से उनके नाम का समर्थन किया ये कहते हुए की

TMC, SP और भारतीय नेशनल कांग्रेस उन्हें अपना समर्थन देती है तो वो भी उनका समर्थन करेगी।

इस रेस में मुलायम सिंह यादव और ममता बनर्जी जैसे नाम भी शामिल थे पर मुलायम यादव पीछे हट गए

और ममता बनर्जी को अकेला छोड़ दिया।

पर इस बार भी कलाम ने खुद ही 18 जून 2012 को फिर से चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया

और लोगों के समर्थन के लिए उनका आभार व्यक्त किया।

PRESIDENT DUTY के बाद उन्होंने क्या किया

वे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के एक HONORARY फ़ेलोशिप तथा इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी के चांसलर, अन्ना यूनिवर्सिटी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर देश के कई अन्य एजुकेशनल और रिसर्च इंस्टिट्यूट में सहायक बने.

उनका आलोचनाओं से भी काफी वास्ता रहा साल 2011 में कुदनकुलम नुक्लेअर एनर्जी प्लांट पर अपने स्टैंड पॉइंट को लेकर वे काफी विवादों में रहे.इस वजह से उनपर लोकल लोगों से बात ना करने का आरोप लगाया था.

इसके साथ ही कलाम ने मई 2012 में करप्शन को रोकने के लिए इंडियन युथ के साथ मिलकर एक मुहीम की शुरुआत की जिसका नाम “व्हाट कैन आई गिव” मूवमेंट रखा गया.

एपीजे अब्दुल कलाम की मृत्यु कब और कैसे हुई

अब्दुल कलाम ने 27 जुलाई 2015 को इस दुनिया को अलविदा कहा.

उस दिन वे IIM शिलॉन्ग में “क्रिएटिव A Liveable प्लेनेट” पर भाषण देने गए थे. सीढ़ियों पर चढ़ते हुए उन्हें कुछ असहजता महसूस हुयी,

कुछ देर आराम करने के बाद वे फिरसे कांफ्रेंस के लिए पहुंचे।

जहां वे केवल 5 मिनट ही खड़े रह पाए और वे निचे गिर पड़े उस वक़्त घडी में लगभग शाम के 6:35 का समय हुआ था.

उन्हें क्रिटिकल कंडीशन में पास के “बेथानी हॉस्पिटल” ले जाया गया,

जहां उन्हें ICU में एडमिट किया गया परन्तु शाम 7:45 बजे ये दुखद खबर आयी के उन्हें बचाया ना जा सका

और डॉक्टर्स ने उन्हें कार्डियक अरेस्ट की वजह से मृत घोषित कर दिया।

ये खबर सुनते ही पुरे देश में एक शोक की लहर दौड़ गयी.

उनकी मृत्यु के बाद उनके पार्थिव शरीर को पहले इंडियन एयर फाॅर्स के हेलीकाप्टर से शिलॉन्ग से गुवाहाटी

फिर 28 जुलाई को इंडियन एयर फाॅर्स के Hercules में दिल्ली लाया गया.

दिल्ली में पालम एयरबेस पर प्रेजिडेंट, वाईस-प्रेजिडेंट, प्रधान मंत्री,

दिल्ली मुख्यमंत्री और इंडियन मिलिट्री के तीनों प्रमुखों ने उनका स्वागत किया एवं माला अर्पण किया।

इसके बाद उन्हें इनके दिल्ली रेजिडेंस पर ले जाया गया जहां देश के बाकी सभी बड़े नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.

फिर 29 जुलाई को उनके पार्थिव शरीर को मदुरई, चेन्नई ले जाया गया और

फिर उसके बाद वहाँ से उन्हें एयर फाॅर्स के हेलीकाप्टर से मंडपम सिटी ले जाया गया.

जहां से सेना के ट्रक से उनके घर रामेश्वरम ले जाया गया तथा 30 जुलाई 2015 को उन्हें पुरे राजकीय सम्मान के साथ रामेश्वरम के पेई कुरुम्बु ग्राउंड में दफनाया गया.

उनकी अंतिम यात्रा के लिए वहाँ पर उस वक़्त 3 लाख 50 हज़ार से ज्यादा लोग शामिल हुए.

जिनमें हमारे देश के प्रधान मंत्री, तमिलनाडु के गवर्नर और कर्नाटक, केरला तथा आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी शामिल थे.

अब्दुल कलाम के निधन पर सबकी क्या प्रतिक्रियाएं थी

कलाम के निधन से देश भर में शोक की लहर दौड़ गयी थी, देश भर से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही थी सोशल मीडिया के द्वारा भी लोगों ने अपना दुःख व्यक्त किया।

केंद्रीय सरकार ने उनके सम्मान के रूप में 7 दिन के लिए राष्ट्रीय शोक रखा.

दुनिया भर के नेताओं द्वारा कलाम की मृत्यु पर गहरा शोक व्यक्त किया गया,

जिनमे बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना,

अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घनी,

नेपाल के प्रधान मंत्री सुशिल कोइराला,

पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन और प्रधान मंत्री नवाज़ शरीफ,

श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला श्रीसेना,

मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्लाह यामीन और वीपी अहमद आदिब,

दलाई लामा, ओंटोरिओ की प्रीमियर कैथलीन वाइन, अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा इत्यादि शामिल थे.

DR. APJ ABDUL KALAM NATIONAL MEMORIAL

इस स्मारक का निर्माण DRDO द्वारा कलाम की याद में तमिलनाडु के द्वीप शहर रामेश्वरम के पेई कुरुम्बु में किया गया था. साल 2017 में प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इसका उदघाटन किया।

कलाम का निजी जीवन

कलाम अपने 5 भाई बहनो में सबसे छोटे थे. वे अपने परिवार के लोगों के काफी करीब थे, कलाम हमेशा अविवाहित रहे.

इसके अलावा जो उनकी सबसे ख़ास खूबी थी वो थी उनकी सादगी और सच्चाई।

ना तो उनके पास टीवी था ना ही आलिशान मकान, ना ही कुछ दिखावटी चीज़ें। जो था वो केवल उनकी कुछ किताबें, वाद्य यन्त्र वीणा, कुछ कपडे, एक CD प्लेयर और एक लैपटॉप शामिल था. उन्हें 2 बजे तक सोना एवं सुबह 6 से 7 बजे के बीच उठना पसंद था, इसके अलावा उनके पास कोई वसीयत नहीं थी.

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को पुरस्कार एवं सम्मान

 

1981 – Padma Bhushan by Indian Government. DRDO or ISRO उनके काम के लिए और गोवर्नमेंट में वैज्ञानिक सलाहकार के लिए।

1990 – Padma Vibhushan.

1994 – Pratisthit Saathi (Institute of Directors of India).

1995 – Maanad Saathi (National Academy of Medical Science).

1997 – Indira Gandhi Award (राष्ट्रीय एकता के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा)

1997 – Bharat Ratna, प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक अनुसंधान और आधुनिकीकरण में उनके योगदान के लिए।

1998 – Vir Savarkar Puruskar (Bharat Sarkar).

2000 – Ramanujan Puruskar (Alwar Research Center Chennai).

2007 – Doctorate of Science (Walver Hampton University, UK).

s2007 – King Charles II Medal (Royal Society, UK).

2007 – Science & Technology Doctorate (Carnegie Melton University).

s2008 – Honorary Degree for Doctor of Science (Aligarh Muslim University, Aligarh).

2008 – Honorary Degree for Doctor of Engineering (Nanyang Prodyigiki University, Singapore).

2008 – Doctor of Science (University Scense Malaysia).

2009 – International Von Corman Wings Award (California Institute of Technology, USA).

2009 – Hoover Medal (ASME Foundation, USA).

2010 – Doctor of Engineering (Waterloo University).

2011 – IEEE Doctorate Sadasyata (IEEE).

2012 – Doctor of Law Doctorate Degree (Simon Frazer University).

2014 – Doctor of Science (Edinberg University, UK).

2014 – Honorary Professor (Beijing University, China).

Dr. APJ Abdul Kalam’s Famous Books

दोस्तों कलाम को शो ऑफ भरी लाइफ में कोई इंटरेस्ट नहीं था। वो अपना जीवन बेहद ही सादगी से जीना पसंद करते थे जिस वजह से उनके पास टेलीविज़न तक नहीं था और वो अपना ज्यादा तर वक़्त किताबे पड़ने में या लेखन में बिताया करते थे। उन्ही के द्वारा लिखी गयी उनकी कुछ प्रसिद्ध पुस्तके हैं जिनके उल्लेख निचे दिया गया है :-

  1. Wings of fire : An Autobiography.
  2. Reignited : Scientific Pathways to a brighter future.
  3. India 2020 : A Vision for the New Millennium.
  4. Transendes my spiritual Experiences.
  5. Ignited Minds : Unlishing the Power within India.
  6. Developments in Fluid Mechanics and Space Technology.
  7. The Luminous Sparks.
  8. Mission India.
  9. Inspiring Thoughts.
  10. Indomitable Spirit.
  11. Envisioning an empowered Nation.
  12. You Are Born to Blossom : Take My Journey Beyond.
  13. Turning Points : A Journey Through Challenges.
  14. Target 3 Billion.
  15. My Journey : Transforming Dreams into Actions.
  16. A Manifesto For Change : A Sequel to India 2020.
  17. Forge your Future : Candid, Inspiring, Fortnight.
  18. Advantage India : From Challenge to Opportunity.

मोटीवेशनल एपीजे अब्दुल कलाम कोट्स

“नींद और निंदा पर जो विजय पा लेते हैं
उनको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है”

“सपने वो नहीं हैं जो नींद में आते हैं
सपने तो वो हैं जो नींद आने नहीं देते हैं”

“इंतज़ार करने वालों को उतना ही मिलता है
जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं”

“जीवन को हमेशा ऐसे जियो की जीवन खत्म होने
के बाद भी लोग ज़िन्दगी भर आपको याद रखें”

“अगर तुम सूर्य की तरह चमकना चाहते हो
तो पहले सूर्य की तरह जलना होगा”

“जो असंभव की कल्पना करने का साहस करते हैं
वे हैं जो सभी मानवीय सीमाओं को तोड़ देंगे”

conclusion

 

अब्दुल कलाम जी के बारे में पढ़कर हमें यह समझ में आता है की अब्दुल कलाम जैसे व्यक्तित्व वाले इंसान अगर हमारे देश में और भी होंगे तो हमारे देश को तरक्की की राह पर जाने से कोई नहीं रोक सकता उनकी दूरदर्शिता, उनकी ईमानदारी, उनका देश के प्रति प्रेम और उनकी काम के प्रति लगन और मेहनत हमे सिखाती है की उसूलों पे चलना बहुत जरुरी है इसलिए उनको सभी से मान सम्मान मिलता था क्यूंकि वो उसूलों पे चलने वाले व्यक्ति थे और हमारे लिए सदैव ही पूज्यनीय थे और पूज्यनीय रहेंगे .

 

 

आशा है कि अब तक आप समझ गए होंगे कि संघर्षो से सफलता कैसे पाई जाती है,

दोस्तों, अब ये कुछ चीजें हैं जो हमने आपके साथ साझा की हैं। अगर आप ऐसी प्रेरणा 

और जीवन से जुड़े अनगिनत रहस्यों के बारे में और जानना चाहते हैं।

हमारे लेख जरूर पढ़ें और इसी तरह और अधिक प्रेरित रहने के लिए हमारा ब्लॉग

जरूर पढ़ें जिसमें आपके लिए कई प्रेरक बातें होंगी।
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