क्या आपका मन उदास है तो ये आपके लिए है: Hindi Motivational Story

यदि आपको भी जीवन में उत्कृष्टता यानि की इंटेलिजेंस चाहिए तो आपको हमेशा मोटिवेटेड रहना होगा “Hindi Motivational Story”

एक ऐसा ही अद्वितीय स्रोत है जो हमें जीवन की इंटेलिजेंस की ओर मोटीवेट करता है।

ये कहानिया विशेष रूप से हिंदी भाषा में उत्कृष्टता, साहस और सफलता की

और अग्रसित करने वाला संग्रह होता है जो हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सही दिशा में प्रेरित करते हैं।

हमारे पास है ऐसी कहानियाँ जो हमें सीखाती हैं कि जीवन में किसी भी

समस्या या विफलता का सामना करते समय भी हम कैसे आगे बढ़ सकते हैं

और अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं।

ये कहानियाँ हमें जीवन दर्पण दिखाती हैं आत्म-विश्वास और संघर्ष से

लबरेज़ इन कहानियों से आप अपनी महत्वपूर्णता को समझ पाएंगे।

हिंदी मोटिवेशनल स्टोरी केवल हमारे मनोबल को ही उत्तेजित नहीं करतीं, बल्कि ये हमें नयी दिशा भी दिखाती है

जो हमारी सोच को और भी प्रेरित करती हैं और हमें जीवन के मायाजाल में सफलता के उतार चढ़ाव भरी मंजिल तक पहुँचाती हैं।

इन कहानियों को पढ़कर हम अपने स्वप्नों को पूरा करने के लिए नए जोश और जूनून से आगे की ओर बढ़ सकते हैं

और अवश्य ही सफलता के लिए सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित हो सकते हैं।

Hindi Motivational Story
Hindi Motivational Story

शीर्षक: ज़िन्दगी के फैसले- Hindi Motivational Story

ये जो कहानी आज आप पढ़ने जा रहे हैं इसे RJ Kartik की कहानियों में से लिया गया है।

किसी ने बिलकुल सच ही कहा है की जब तक आप डरते रहते हैं तब तक आपकी ज़िन्दगी के फैसले कोई और लेता है।

ये कहानी है एक दुकानदार की जिन्होंने एक अगरबत्ती की दूकान खोली।

सेठ जमनादास जी हर रोज़ की तरह घर से निकले अपनी दूकान पर जाने के लिए।

उन्होंने सुगन्धित एवं बेस्ट क्वालिटी की अगरबत्तियां अपने यहां मंगाई और बहुत अच्छे से अपनी दूकान पर सजाई हुई थीं।

सेठ जमनादास जी एक शालीन किस्म के व्यक्ति थे

उनका व्यवहार भी अपने कस्टमर्स के साथ बहुत अच्छा था।

उनके शालीन स्वभाव के कारण और उनके यहां की अगरबत्तियों की क्वालिटी के कारण धीरे धीरे उनकी दूकान जम गयी।

उनके यहां हर रोज़ अच्छी खासी सेल होने लगी और उन्हें उससे अच्छा ख़ासा मुनाफा भी होने लगा था।

सब कुछ बहुत अच्छे से चल रहा था सेठ जी दूकान की कमाई से बहुत खुश थे।

Hindi Motivational Story
Hindi Motivational Story

पहला ग्राहक- Hindi Motivational Story

अपनी दूकान के बाहर उन्होंने एक बड़ा सा बोर्ड लगवाया हुआ था और उसपे लिखवाया हुआ था की “हमारे यहां सुगन्धित अगरबत्तियां मिलती हैं”. एक दिन एक ग्राहक आया उसने वो बोर्ड पढ़ा तो बोलने लगा की सेठ जी मुझे इस बोर्ड में कुछ गड़बड़ी लग रही है।

सेठ जी भोलेभाले थे पूछने लगे की, क्या हो गया आपको क्या गड़बड़ लगी मैंने तो सब सही लिखवाया है फिर आपको क्या गलत लगा इसमें?

जवाब में उस ग्राहक ने कहा की आपने लिखवाया है की “हमारे यहां सुगन्धित अगरबत्तियां मिलती है”

तो आप मुझे एक बात बताइये की आपने कहाँ सुना है की अगरबत्तियां दुर्गन्धित होती हैं अगरबत्तियां तो सुगन्धित ही होती है।

इसलिए आप ये जो आपने लिखवाया है “हमारे यहां सुगन्धित अगरबत्तियां मितली हैं”

इसमें से “सुगन्धित” हटवा दीजिये। बेचारे सेठ जी भोले भाले इंसान थे

सो आ गए उस ग्राहक की बात में और सोचने लगे की बात तो सही कह रहे हैं

ये सज्जन तो उन्होंने उस बोर्ड में से “सुगन्धित” शब्द हटवा दिया।

अब उस बोर्ड पे लिखा हुआ था “हमारे यहां अगरबत्तियां मिलती हैं” फिर भी सबकुछ ठीक चल रहा था।

अभी भी दूकान अच्छा ख़ासा मुनाफा कमा रही थी।

दूसरा ग्राहक- Hindi Motivational Story

कुछ समय के बाद एक और सज्जन आये और उन्होंने उस बोर्ड को पढ़ा

तो वो अपना ज्ञान देने लगे की सेठ जी आपके बोर्ड में कुछ गड़बड़ी लग रही है।

तो सेठ जी अब इस बार उस ग्राहक की बात को भी गौर से सुनने लगे,

उन सज्जन ने अपनी राय रखते हुए बोला की सेठ जी आपने लिखवाया हुआ है

“हमारे यहां अगरबत्तियां मिलती हैं” तो इसमें “हमारे यहां” का क्या मतलब है।

अगरबत्ती की दूकान आप की ही तो है यहां तो आपके यहां ही तो मिलेंगी

और किसके यहां मिलेंगी तो ये जो दो शब्द हैं ना ये कुछ जम नहीं रहे

मेरी मानिये तो इन दोनों शब्दों को हटवा दीजिये।

अब इस बार सेठ जी फिर सोच में पड़ गए सोचने लगे की बात तो ये सही कह रहे हैं।

सिर्फ हमारी दूकान ही तो है यहां अगरबत्ती की तो ऐसे में “हमारे यहां” लिखवाने का क्या मतलब बनता है।

अब इस बार फिर उन्होंने पेंटर को बुलवाया और बोर्ड पर से “हमारे यहां” शब्द हटवा दिया।

अब उस बोर्ड पर केवल “अगरबत्तियां मिलती हैं” यही लिखा हुआ था।

तीसरा ग्राहक

कुछ 15-20 दिन ही बीते होंगे की एक और ग्राहक आये

और बोर्ड को देखकर अपनी राय देने लगे की सेठ जी “अगरबत्तियां मिलती हैं” क्यों लिखवाया हुआ है।

सबको दिख ही रहा है की अगरबत्तियां रखी हुई हैं तो मिलेंगी ही ना ऐसा तो है नहीं की नहीं मिलेंगी।

तो ये लिखवाने का क्या मतलब, मेरी मानिये तो इन दोनों शब्दों को हटवा दीजिये।

सेठ जी ने फिर से पेंटर को बुलवा कर अब उन दो शब्दों को भी हटवा दिया।

अब वहाँ सिर्फ “अगरबत्तियां” ही लिखा हुआ था।

चौथा ग्राहक

एक-दो महीने ही बीते थे अभी इस बात को की एक दिन एक और सज्जन पुरुष आये

और बोर्ड देखकर कहने लगे की साहब आपने इसपर “अगरबत्तियां” क्यों लिखवाया हुआ है।

सबको दिख ही रहा है अगरबत्ती की दूकान है तो अगरबत्तियां ही मिलेंगी मोमबत्तियां तो मिलेंगी नहीं

तो ये क्यों लिखवाया हुआ है मुझे तो ये कुछ जम नहीं रहा है तो इसे हटवा क्यों नहीं देते।

लिहाज़ा फिर से पेंटर को बुलाया गया और अब “अगरबत्तियां” शब्द भी हटवा दिया गया।

अब उस बोर्ड पर कुछ नहीं था, बिलकुल खाली हो गया था अब वो बोर्ड।

कुछ महीने दो महीने बाद अब धीरे धीरे उनका धंदा मंदा होने लगा बिक्री कम होने लगी उनकी।

सेठ जी कुछ समझ नहीं पा रहे थे की ऐसा क्यों हो रहा है

अभी तक तो सब ठीक चल रहा था फिर अचानक से ये बिक्री कम क्यों होने लगी।

पुराना दोस्त

कुछ समय बाद सेठ जी का एक बहुत पुराना दोस्त था वो आया हुआ था दूकान पर तो ऐसे ही बात चलने लगी बात चलते-2 बात काम धंदे के उप्पर चलने लगी।

तो सेठ जी ने बताया की कुछ समय से काम धंदा कुछ ठीक नहीं चल रहा है बिक्री बहुत कम हो गयी है पर

वजह समझ नहीं आ रही की ऐसा क्यों हो रहा है।

तो सेठ जी का दोस्त दूकान के बाहर गए और दूकान को चारों तरफ से देखने लगे

तो अचानक से उनके दोस्त की नज़र उस बोर्ड की उप्पर गयी वो बोर्ड को देखकर हैरान हो गए।

दौड़ के गए सेठ जी के पास और बोलने लगे की अरे ये क्या कर रखा है

तुमने बेवकूफ हो क्या तुम जो इतना बड़ा बोर्ड खाली छोड़ रखा है

उसपर कुछ नहीं लिखवाया हुआ। तुम्हे कुछ तो लिखवाना चाहिए जिससे तुम्हारी पहचान बने,

तुम उस बोर्ड पर लिखवाओ की “हमारे यहां सुगंधित अगरबत्तियां मिलती हैं”

फिर देखना की दूकान कैसे चलेगी। इधर सेठ जी के दोस्त ने ये बात कही और उधर सेठ जी का दिमाग ठनका

कि कैसे सबकी राय लेते लेते उन्होंने अपना ही नुकसान करवा लिया।

अब सेठ जी को अच्छे से समझ आ गया था की उनकी गलती थी

कि कैसे वे सबकी राय लेते चले गए और अपना ही नुकसान करवाते चले गए।

निष्कर्ष

तो इस कहानी का निष्कर्ष क्या कहता है, इस कहानी का निष्कर्ष यही कहता है

अगर आप सबकी राय लेते चले जाएंगे तो कहीं आपकी अपनी राय का धंदा मंदा ना पड़ जाए।

जब तक आप डरते रहेंगे, दूसरों की राय ही लेते रहेंगे तब तक आप अपनी ज़िन्दगी के फैसले नहीं कर पाएंगे।

तो इसलिए दूसरों की राय से ज्यादा खुदके फैसलों पर भरोसा करें और आगे बढ़ें।

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