जीवन की सबसे प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspiring Story in Hindi) वो होती हैं
जो हमें ना सिर्फ आगे बढ़ने में मदद करती हैं बल्कि हमें हर कठिनाइयों के बावजूद आगे बढ़ने का साहस देती हैं।
ये हैं वो किस्से जो हमें आज भी प्रेरित करते हैं, जो हमें सपनों की ओर बढ़ने की ओर ढकेलते हैं।
तो चलिए, जीवन में आगे बढ़ने में मदद करने वाली 04 प्रेरणादायक कहानियाँ की जद्दोजहद और मोहक दुनिया में डूबते हैं,
और एक नयी प्रेरणा स्रोत की तलाश में चलते हैं।
ये प्रेरक कहानियां आपको अपने लक्ष्यों का पीछा करने,
दूसरों के प्रति दयालु होने और खुद को कभी हार न मानने के लिए प्रेरित करेंगी।
अपने जीवन और आपके सोचने के तरीके को बदलने की क्षमता की खोज करें।
आलसी होना आपको बहुत दूर नहीं ले जाएगा– Inspiring Story in Hindi
एक बार एक राजा ने अपने आदमियों को सड़क पर एक शिलाखंड खड़ा करने का आदेश दिया।
फिर वह नजदीकी किसी जगह पर छिपकर खड़ा हो गया और
शिलाखंड को रास्ते से हटाने के लिए किसी का इंतजार करने लगा।
राजा के कुछ सबसे धनी व्यापारी और दरबारियों ने उस शिलाखंड को देखा और आगे निकल गए
लेकिन उनमें से किसी ने भी पत्थर को हटाने के लिए कार्रवाई नहीं की।
हालांकि कई लोगों ने राजा पर रोडवेज को साफ रखने में विफल रहने का आरोप लगाया,
एक दिन सब्जी ले जा रहा एक किसान आया। किसान शिलाखंड के पास गया,
अपना भार नीचे रखा और उसे एक तरफ फेंकने की कोशिश की।
काफी धक्का-मुक्की करने के बाद ही उसे सफलता मिली।
इनाम
जब किसान अपनी सब्जी लेने के लिए लौटा था, तो उसने देखा की रास्ते में एक बटुआ रखा हुआ था
उसने उस बटुए को खोलकर देखा तो पाया कि इसमें कई सारे नोट और सोने के सिक्के रखे हुए थे
किसान ये सब देखकर कुछ समझ नहीं पाया और वो उस बटुए को उठाकर
इधर उधर देखने लगा की कहीं कोई व्यापारी तो इसे इधर नहीं छोड़ गया।
राजा झाड़ियों के पीछे से छिपकर ये सब देख रहा था और जब राजा ने देखा
की किसान इस बटुए को लेकर काफी परेशान हो रहा है।
तब राजा ने बाहर निकलकर किसान के सामने आते हुए कहा कि
“हे किसान रख लो ये तुम्हारे ही हैं, ये मैंने ही यहां रखे थे”
ये बटुआ मैंने उस व्यक्ति के लिए रखा था जो इस शिलाखंड को यहां से हटाएगा
और तुम ही वो व्यक्ति हो जिसने ये काम किया है।
तो इसलिए इस बात से खुश होकर मैं तुम्हे इनाम में ये बटुआ भेंट करता हूँ
राजा के नोट और बटुए में सोने के टुकड़ों की प्रचुरता से संकेत मिलता है
कि पैसा उस व्यक्ति के लिए था जिसने सड़क के किनारे का पत्थर उठाया था।
राजा के इस भेंट से किसान काफी खुश हुआ और अब उसका पूरा जीवन भली भाँती व्यतीत होने लगा.
“इस कहानी से हमे ये सीख मिलती है की जीवन में सफल होने के लिए आपको किसी पर निर्भर रहने की जरुरत नहीं।
यदि आपको अपने आप पर यकीन है तो आप भी जीवन की सफलता में आगे रोड़े अटकाने वाले
ऐसे कई शिलाखंडों को हटा सकते हैं और इनाम स्वरुप वो पा सकते हैं जो आप पाना चाहते हैं”।
तो चलिए इसी के साथ आगे बढ़ते हैं अपनी अगली कहानी की और….
गुस्से में आकर कोई ऐसी बात न कहें जिसके लिए आपको पछताना पड़े
एक समय की बात है एक लड़का लगभग 12-13 वर्ष की आयु का अपने पिता के साथ एक गांव में रहता था।
उसके पिताजी लकड़हारे का काम किया करते थे वो भी अपने पिताजी के साथ उनके काम में मदद कर दिया करता था।
यूँ तो वो लड़का काफी शांत व्यक्तित्व वाला इंसान था, मगर ना जाने क्यों कुछ दिनों से उसका मिजाज बदल सा गया था
और उसे बात बात पर बहुत गुस्सा आने लगा था.
एक बार उस छोटे लड़के का मिजाज खराब हो गया था।
जब उसके पिताजी ने उसका ये रवैया देखा तो उन्होंने उसे एक थैला हाथ में थमाते हुए निर्देश दिया की
जब भी उसे बहुत तेज़ गुस्सा आये या फिर गुस्से में वो अपना आपा खोने लगे
तो उस थैले में से एक कील बहार निकलकर पीछे पड़े हुए बाड़े में ठोक दे।
लड़के ने पहले दिन 37 कीलों को बाड़ में ठोका था।
फिर उसके अगले दिन उससे थोड़ी कम फिर उसके अगले दिन थोड़ी और कम फिर और कम
जैसे-जैसे उसने अपने गुस्से को नियंत्रित करना सीख लिया,
अगले कुछ हफ्तों में हर दिन हथौड़े से कीलों की संख्या धीरे-धीरे कम होती गई।
इस दौरान उसने यह पाया की बाड़े में कीलों को ठोकने की तुलना में अपने आप को शांत रखना ज्यादा आसान है।
अंत में, वह दिन आ ही गया जब लड़के ने अपना आपा नहीं खोया।
उस दिन उसने अपने पिताजी को इस बारे में बताया की पिताजी आज मुझे बिलकुल गुस्सा नहीं आया
आज मैंने बाड़े में एक भी कील नहीं ठोकी है।
पिताजी की शिक्षा
पिताजी खुश होते हैं और कहते हैं की शाबाश तुमने बहुत अच्छा काम किया जो आज एक भी कील नहीं ठोकी।
परन्तु अब पिताजी एक सुझाव देते हैं और कहते हैं की जाओ अब तुम उन कीलों
को हर रोज़ एक एक करके बाहर निकालो जिस तरह तुमने उन्हें ठोका था।
बच्चा छोटा था पिताजी की बात को समझ नहीं पाया बहरहाल चल दिया पिताजी का आदेश मानने के लिए।
ताकि वह अपने गुस्से को नियंत्रित कर सके।
आखिरकार कुछ दिनों बाद लड़का उन सारी कीलों को बाड़े में बाहर निकाल लेता है जिन्हे उसने ठोका था।
Inspiring Story in Hindi
अब फिर वह अपने पिताजी के पास आता है और ख़ुशी-2 कहता है
की मैंने आपके कहे अनुसार सारी कीलों को बाड़े में से निकाल दिया है।
अब इस बार पिताजी अपने बेटे का हाथ पकड़कर उसे उस बाड़े के पास ले जाते हैं जहां से उसने कीले निकाली थीं।
अब इस बार उसके पिताजी जो उससे कहते हैं उससे उसको समझ में आ जाती है की उसकी गलती कहाँ थी और क्या थी
पिताजी कहते हैं की देखो इस बाड़ को अब फिर कभी पहले जैसा नहीं होगा क्यूंकि तुमने इसमें जगह-2 कीले ठोक दी हैं।
तुम्हारी कीलों की चोट ने इसे जगह-2 से खंडित कर दिया है, बाड़ फिर कभी वही नहीं होगी।
ठीक इसी तरह हमारा गुस्सा होता है, जब आप गुस्से में होते हैं
तो कई बार ऐसी बातें आप बोल जाते हैं जिसका आपको बाद में पछतावा होता है
जब आप गुस्से में कुछ कहते हैं, वो भी ठीक इसी तरह हमारे अंदर कई निशान छोड़ जाते हैं
जो एक बार लग गए तो फिर चाहे हम कितनी भी क्षमा मांग लें कभी भर नहीं सकते।
आप एक आदमी में चाकू डाल सकते हैं और उसे बाहर निकाल सकते हैं।
“आप कितनी बार भी कहें कि मुझे क्षमा करें, घाव बना रहता है।”
अपनी गलती का एहसास
अब उस लड़के को एहसास होता है की उसने गुस्से में आकर अपने पिताजी को कितना बड़ा घाव दिया है
छोटे लड़के ने महसूस किया कि उस समय उसके शब्द कितने शक्तिशाली थे।
लेकिन फिर भी अपने किये पर शर्मिंदा होकर वह अपने पिताजी से माफ़ी मांगता है और कहता है की
“मुझे आशा है पिताजी कि आप उन घावों को क्षमा कर सकते हैं जो मैंने आप में डाले हैं,”
अब इस बार उसके पिता उसकी तरफ देखते हैं और कहते हैं की,
“बेशक, मैं कर सकता हूँ,” इस बार उनके चेहरे पर एक मंद सी मुस्कान थी।
“तो क्या कहता है इस कहानी का सार, ये कहता है की कभी भी
गुस्से में आकर कोई ऐसी बात न कहें जिसके लिए आपको बाद में पछताना पड़े”।
आइये जानते हैं अब अगली कहानी क्या कहती है….
जीवन में अच्छी चीजों पर ध्यान दें– Inspiring Story in Hindi
दो दोस्त रेगिस्तान से गुजर रहे थे। यात्रा के दौरान, उन्होंने बहस की, और एक दोस्त ने दूसरे को चेहरे पर थप्पड़ मार दिया।
थप्पड़ मारने वाले को चोट लगी थी, लेकिन बिना कुछ कहे रेत में लिखा “आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मुझे थप्पड़ मार दिया”।
वे तब तक चलते रहे जब तक उन्हें एक नखलिस्तान नहीं मिला, जहाँ उन्होंने स्नान करने का फैसला किया।
जिसे थप्पड़ लगा था वह कीचड़ में फंस गया और डूबने लगा, लेकिन दोस्त ने उसे बचा लिया।
करीब डूबने से उबरने के बाद, उन्होंने एक पत्थर पर लिखा “आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मेरी जान बचाई”।
जिस दोस्त ने थप्पड़ मारा था और अपने सबसे अच्छे दोस्त को बचाया था,
उससे पूछा, “जब मैंने तुम्हें चोट पहुँचाई, तो तुमने रेत में लिखा, और अब तुम एक पत्थर पर लिखते हो, क्यों?”
दूसरे मित्र ने उत्तर दिया “जब कोई हमें चोट पहुँचाता है तो हमें उसे रेत में लिख देना चाहिए जहाँ क्षमा की हवाएँ उसे मिटा सकती हैं।
लेकिन, जब कोई हमारे लिए कुछ अच्छा करता है, तो हमें उसे पत्थर पर उकेरना चाहिए, जहां कोई हवा उसे मिटा नहीं सकती। ”
“जी हाँ दोस्तों ये छोटी सी कहानी हमें बहुत बड़ी सीख सीखा जाती है
की जीवन में हमेशा अच्छी चीज़ों पर ध्यान दें, और बुरी बातों को रेत पर लिखकर छोड़ दें
ताकि फिर किसीकी अच्छाई वाली हवा उस बुरी बात को अपने साथ उड़ाकर ले जाए और उसे हमेशा के लिए मिटा दे
यह चीजें नहीं हैं लेकिन हमारे जो दोस्त हैं वे मूल्यवान हैं। उनके साथ की यादें जीवन भर संजोने लायक हैं।
पता करें कि आपके पास किन दोस्तों के साथ सबसे अच्छी यादें हैं”।
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संघर्ष आपको मजबूत बनाएगा- Inspiring Story in Hindi
आपके साथ जो होता है उससे ज्यादा आपकी प्रतिक्रिया मायने रखती है
शालिनी एक बहुत ही होनहार लड़की थी, वह जो भी काम करती उसमे अपना 100% देने की कोशिश करती थी।
वह अपने माता पिता के साथ रहती थी, सबकुछ बहुत अच्छा था उसके लिए।
परन्तु कुछ समय से शालिनी की परिस्थितियां वक़्त के अनुकूल नहीं बन पा रही थीं।
जिस वजह से वो बहुत निराश महसूस करने लगी थी।
एक बार की बात है शालिनी अपनी परिस्थितियों से परेशान होकर अपने पिताजी के पास गयी
और उनसे शिकायत करने लगी की उसका जीवन बहुत दयनीय स्थिति में पहुंच चुका है
और उसे नहीं पता की वो इसे किस दिशा में ले जा रही है।
वह हर समय लड़ते-2 थक चुकी थी, ऐसा लग रहा था मानो एक समस्या हल हुयी तो
दूसरी पहले से ही उसके सामने आने के लिए तैयार बैठी हो।
परिस्थितियों का सामना करना सीखो
शालिनी के पिताजी जो पेशे से रसोइया थे
एवं वे बहुत सुलझे हुए इंसान भी थे। उन्होंने शालिनी की बातों को बड़े ध्यान से सुना
और उसे अपने साथ रसोईघर में ले गए। वहाँ उन्होंने उसे 3 अलग-2 बर्तनों में पानी भरकर दिया
और कहा की तीनो को गैस पर चढ़ा दो और इसका पानी उबलने दो।
शालिनी इस बात से अनजान थी की उसके पिताजी उससे क्या करवाना चाहते हैं,
तो उसने वैसा ही किया जैसा उसके पिताजी ने उससे करने को कहा था।
अब उसके पिताजी ने एक बर्तन में आलू, दूसरे बर्तन में अंडे और तीसरे बर्तन में कॉफ़ी बीन्स डालने को कहा
और तीनो को उबलने के लिए छोड़ दिया और शालिनी को आराम से बैठने को कहा।
शालिनी को समझ नहीं आ रहा था की उसके पिताजी उसको समझने की बजाए
उससे ये सब क्या करवाए जा रहे हैं, अब शालिनी को अपने पिताजी पर गुस्सा आ रहा था
लेकिन फिर भी वो बिना कुछ बोले चुपचाप बैठे हुए सब देख रही थी।
अब तकरीबन 20 मिनट बीत चुके थे शालिनी के पिताजी ने तीनों बर्तनों को गैस पर से निचे उतारा
उसमे से तीनों चीज़ों यानिकि आलू,अंडे और कॉफ़ी बीन्स को बाहर निकाल लिया
और तीनों को अलग-2 बर्तनों में रख दिया। अब पिताजी ने शालिनी को अपने पास बुलाया
और कहा की आओ और तीनो पदार्थों को छूकर देखो की तुम्हे क्या महसूस होता है।
Inspiring Story in Hindi
उसने नोट किया कि वे नरम थे।
फिर उसने उसे एक अंडा लेने और उसे तोड़ने के लिए कहा। खोल को हटाने के बाद, उसने कठोर उबले अंडे को देखा।
अंत में, उसने उसे कॉफी पीने के लिए कहा। इसकी समृद्ध सुगंध ने उसके चेहरे पर मुस्कान ला दी।
“पिताजी, इसका क्या मतलब है?” उसने पूछा।
उन्होंने समझाया कि आलू, अंडे और कॉफी बीन्स प्रत्येक को एक ही प्रतिकूलता का सामना करना पड़ा – उबलते पानी का।
हालांकि, सभी ने अलग-अलग प्रतिक्रिया दी।
शालिनी को मिली सीख
आलू मजबूत था, कठोर और अथक रूप से चलने वाला, लेकिन उबलते पानी में, यह नरम और कमजोर हो गया।
अंडा नाजुक था, पतला बाहरी आवरण इसके तरल आंतरिक भाग की रक्षा करता था जब तक कि इसे उबलते पानी में नहीं डाला गया,
जिससे अंडे के अंदर का भाग सख्त हो गया। हालांकि, ग्राउंड कॉफी बीन्स अद्वितीय थे,
उबलते पानी के संपर्क में आने के बाद, उन्होंने पानी बदल दिया और कुछ नया बनाया।
तुम कौनसे हो?” उसने अपनी बेटी से पूछा। “जब प्रतिकूलता आपके दरवाजे पर दस्तक देती है,
तो आप कैसे प्रतिक्रिया देते हैं? क्या आप आलू, अंडा या कॉफी बीन हैं?
“जीवन में, चीजें हमारे आसपास होती हैं, और चीजें हमारे साथ होती हैं।
केवल एक चीज जो वास्तव में मायने रखती है वह यह है कि आप इस पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं
और आप इससे क्या बनाते हैं।प्रत्येक अनुभव को सर्वश्रेष्ठ बनाना सीखें, अनुकूलित करें और चुनें”
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