Ratan Tata Biography in Hindi

“ज़िन्दगी कभी भी ले सकती है करवट, कभी गुमान न कीजिये, बुलंदिया छुइए हज़ार मगर उसके लिए कोई गुनाह न कीजिये”

ये लाइन उसके ऊपर बिलकुल सटीक बैठती हैं जिनकी बात हम आज करने वाले हैं | माता पिता का तलाक 10 साल की उम्र में हो गया, पिता ने दूसरी शादी कर ली ज़िन्दगी भर सौतेले भाई के साथ रहे. आस पड़ोस के बच्चो ने चिड़ाना शुरू कर दिया यहां तक की खुद की गर्लफ्रेंड छोड़ के चली गयी ज़िन्दगी भर अकेले रहना पड़ा जब अमेरिका गए तो बर्तन धोते रह गए. आज हम जिन शख्सियत की बात करने वाले हैं इन्होने बचपन से ही ज़िन्दगी में कई बार उतार चढ़ाव देखे मगर कभी हार नहीं मानी। फ़िल्मी कहानी नहीं है ये कोई, ये है Ratan Tata biography in Hindi. आज इस आर्टिकल में हम पढ़ेंगे उनसे जुड़े ज़िन्दगी के कुछ बातें और भी बहुत कुछ तो बने रहिये हमारे साथ और इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़िए.

ratan tata biography in hindi

WHO IS RATAN TATA IN HINDI

रतन टाटा कौन है, उनका परिवार, उनका जन्म (RATAN TATA BIRTHDAY) कहाँ हुआ ?

Ratan Tata Biography in Hindi

गुजरात के सूरत शहर में एक नामी कारोबारी परिवार रहता था जिनके यहां 28 दिसंबर 1937 को जन्म हुआ सर रतन टाटा का। इन्होने बचपन से ही बहुत उतार चढ़ाव देखे जैसे 10 साल की छोटी सी उम्र में ही इनके माता पिता का आपसी विवाद के चलते तलाक हो गया था.इनके पिता का नाम नवल टाटा था और माता का नाम सोनू टाटा था.

माता पिता के अलगाव के बाद इनकी दादी नवाजबाई टाटा ने इनका पालन पोषण किया जो अपने पति रतन जी टाटा की मृत्यु के बाद अकेली पड़ गयी थीं. वे काफी दयावान थीं परन्तु अनुशासन के मामले में काफी सख्त थीं.

इन्होने ने ही रतन टाटा और इनके भाई जिम्मी टाटा की अच्छी परवरिश करी. इनके पिता ने सीमोन टाटा से दूसरी शादी कर ली जिससे इनका सौतेला भाई भी हुआ जिसका नाम नोएल टाटा रखा गया.

रतन टाटा की शुरुआती पढ़ाई और करियर कहाँ से हुआ ?

रतन टाटा की शुरुआती पढ़ाई मुंबई के Campaign School में हुई, जहां ये 8वीं कक्षा तक पढ़े और फिर मुंबई के ही Cathedral और Jon Canon School और शिमला के Bishop Cotton School से इन्होने हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई की. इसके बाद ग्रेजुएशन इन्होने New York City के Riverdale Country School से साल 1955 में करी.

RATAN TATA EDUCATION & CAREER

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ये वर्ष 1955 से लेकर 1962 तक अमेरिका में रहे तथा वहां के लाइफस्टाइल से काफी प्रभावित हुए की इन्होंने वहीँ बसने का मन बना लिया। मगर उनकी दादी की बिगड़ती तबियत ने इन्हे स्वदेश लौटने पर मजबूर कर दिया।

हालांकि जब ये स्वदेश लौटे तो इनके पास एक जॉब ऑफर था IBM का मगर JRD Tata इनकी किसी दूसरी कंपनी में काम करने के फैसले से खुश नहीं थे इसलिए इन्होने रतन टाटा को वर्ष 1962 में टाटा ग्रुप की कंपनी में जॉब ऑफर किया। इन्होने उसे स्वीकार कर लिया बस फिर क्या था इसके बाद इन्होंने शुरुआत में शॉप फ्लोर पे काम किया।

मगर क्योंकि रतन टाटा शुरू से ही काफी होनहार और दृढ़ निश्चय वाले इंसान रहे हैं तो इन्होने अपनी लगन और मेहनत के बूते सफलता प्राप्त करनी शुरू कर दी थी.

वर्ष 1971 में जिस वक़्त इनकी नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी घाटे में चल रही थी उस वक़्त इन्हे वहाँ का डायरेक्टर इंचार्ज बनाया गया. बस फिर क्या था रतन टाटा तो वो अनमोल रतन हैं जो मिट्टी को भी सोना कर दें। इन्होने उसी कंपनी को जिसकी बाजार में हिस्सेदारी केवल 2% थी और घाटा 40% तक था को केवल 4 वर्षों के अंदर ही बाजार में 20% का हिस्सेदार बना दिया।

हालांकि ऐसा नहीं है की वो कंपनी बाद में भी मुनाफे में रही। दरअसल वर्ष 1975 में इंदिरा गाँधी के द्वारा घोषित आपातकाल के फैसले से कंपनी को काफी नुकसान हुआ और नतीजतन कंपनी को बंद करना पड़ा। क्यूंकि उस दौरान वर्ष 1977 में टाटा के वर्कर्स ने यूनियन स्ट्राइक भी कर दी थी। लाख कोशिशों के बावजूद जब वे नहीं माने तब उन्हें कंपनी बंद करने का फैसला लेना पड़ा.

वर्ष 1977 में एक और कंपनी ऐसी थी जिसे रतन टाटा के सानिध्य में बंद होना पड़ा वह थी Empress Mill जो उस वक़्त एक बड़े घाटे से गुज़र रही थी और उसे उस घाटे से उबारने के लिए लगभग 50 लाख रूपए उस दौर में चाहिए ही थे, जिसका इंतज़ाम करना उस समय के हिसाब से थोड़ा मुश्किल हो गया था रतन टाटा के लिए, बस इसी वजह से कंपनी को आखिरकार वर्ष 1986 में बंद ही करना पड़ा.

मगर साल 1991 में JRD TATA ने इनकी काबिलियत को देखते हुए इन्हे अपना उत्तराधिकारी बनाया और इनके हाथों में टाटा ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज की कमान थमा दी।

टाटा ग्रुप की कमान संभालते ही उन्होंने सबसे पहले टाटा कंसल्टेंसी सर्विस (TCS)में एक पब्लिक इशू जारी किया और टाटा मोटर्स को New York एक्सचेंज में लिस्टेड करवा दिया।

वर्ष 1998 में टाटा मोटर्स ने पहली स्वदेशी कार टाटा इंडिका को बाजार में पेश किया।

ये रतन टाटा का ही मार्गदर्शन था जिस वजह से कंपनी ने दुनिया की सबसे मेहेंगी गाड़ियों में से एक ‘जैगुआर लैंड रोवर’ का अधिग्रहण किया तथा इतना ही नहीं मेहेंगी गाड़ियां भी बनायीं। इसके साथ ही साथ दुनिया की सबसे सस्ती गाड़ी टाटा नैनो भी इन्ही के मार्गदर्शन में बनी जिसे दुनियाभर में काफी सराहा गया.

और ये गाडी मिडिल क्लास परिवारों के लिए एक तोहफा थी जो मेहेंगी गाड़ी का खर्च नहीं उठा सकते थे मगर घर में एक गाड़ी हो ऐसी चाह रखते थे.

टाटा मोटर्स ने फोर्ड कंपनी से ‘जैगुआर और लैंड रोवर’ को 26 मार्च 2008 में 23 लाख डॉलर्स में खरीद लिया था. इसी बात से जुड़ा हुआ एक बड़ा मज़ेदार किस्सा सुनने को मिलता है की जब टाटा ने स्वदेशी कार टाटा इंडिका बाजार में उतारी थी उस वक़्त कंपनी को काफी नुक्सान हुआ था. इतना की कंपनी बेचने तक की नौबत आ गयी थी उस वक़्त फोर्ड कंपनी के मालिक ने बेहद ही नकारात्मक अंदाज़ में इन्हे ताना देते हुए बोला था की “ये कंपनी खरीदकर हम आप पर एहसान कर रहे हैं”.

बस फिर क्या था रतन टाटा को ये बात दिल पे लग गयी और उन्होंने इसका जवाब देने का मन बनाया लेकिन उस वक़्त उन्होंने फोर्ड कंपनी के मालिक से कुछ नहीं कहा और बिना कंपनी बेचे ही वहाँ से निकल गए। इसके बाद इनके कड़े परिश्रम और सही मार्गदर्शन की वजह से ही टाटा मोटर्स एक बार फिर से सफलता की ऊंचाइयों को छू सका और सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि टाटा मोटर्स ने ही फोर्ड कंपनी को ख़रीदा जब फोर्ड कंपनी अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रही थी. और उस वक़्त फोर्ड कंपनी के मालिक के शब्द यकायक बदल गए और उन्होंने रतन टाटा जी से कहा की “आज आप हमारी कंपनी खरीदकर हम पर बहुत बड़ा एहसान कर रहे हैं”. इस पर रतन टाटा ने कुछ नहीं कहा और वे बस मौन रहे.

तो देखा आपने ये होता है जूनून कुछ कर दिखाने का कुछ हासिल करने का जो रतन टाटा जी में कूट कूट कर भरा हुआ है शायद इसी वजह से तो उन्होंने “चुप रहकर इतनी मेहनत करी कि उनकी सफलता ने शोर मचा दिया”.

इसीके साथ रतन टाटा ने 28 दिसंबर 2012 को टाटा ग्रुप की सारी आधिकारिक ज़िम्मेदारी 44 वर्षीय सायरस मिस्त्री को थमाते हुए टाटा ग्रुप से सेवानिवृति ले ली. लेकिन पूरी तरह से सेवानिवृत होने से पहले उन्होंने सायरस मिस्त्री के सामने एक शर्त रखी कि वह एक साल तक उनके साथ काम करेंगे, जिसे सायरस मिस्त्री ने स्वीकार भी किया एवं उनके साथ पूरा एक वर्ष तक काम भी किया। जिससे उन्हें बिज़नेस की और भी बारीकियों को सीखने का मौका मिला।

सर रतन टाटा के रिटायरमेंट के बाद का जीवन

Ratan Tata Biography in Hindi

सर रतन टाटा एक बेहद ही शर्मीले एवं साधारण किस्म के व्यक्ति रहे हैं, जिन्हे दिखावे वाली ज़िन्दगी से दूर ही रहना पसंद है, वे बेहद ही सादगी भरा जीवन जीना पसंद करते हैं.

रतन टाटा सालों से मुंबई के कोलाबा में स्थित अपने बंगलो में रहते हैं, जहां वे बुक्स और अपने पालतू कुत्तों के साथ रहते हैं.

रतन टाटा रिटायरमेंट के बाद भी काफी एक्टिव रहते हैं. टाटा संस के 2 trusts के वे अभी भी चेयरमैन हैं, तथा इसके साथ ही वे अभी भी कई कम्पनीज के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर होने की भूमिका निभा रहे हैं.

साथ ही प्रधान मंत्री की “बिज़नेस इंडस्ट्री काउंसिल और नेशनल मैन्युफैक्चरिंग कम्पेटिटिवेनेस कॉउन्सिल” के सदस्य भी हैं.

RATAN TATA FACTS

Ratan Tata Biography in Hindi

रतन टाटा को हवाई जहाज उड़ाना बेहद पसंद है उन्हें शुरू से ही प्लेन उड़ाने का काफी शौंक रहा है, जिसका उनके पास लाइसेंस भी है.

सर रतन टाटा एक बेहद ही शांत किस्म के व्यक्ति हैं और उनके काम करने का अंदाज़ भी बेहद अलग है, जिस वजह से उनके साथ काम करने वाले सह-कर्मचारियों को भी उनसे बहुत कुछ सिखने को मिलता है साथ ही वे रतन टाटा के साथ काम करना बेहद पसंद भी करते हैं.

रतन टाटा जी ने 21 वर्षों तक अपनी कंपनी में काम किया और इन 21 वर्षों में उन्होंने अपनी कंपनी को शिखर तक पहुंचा दिया, तथा अपनी कंपनी की वैल्यूएशन को 50 गुना बड़ा दिया आज की तारीख में भी टाटा ग्रुप की कम्पनीज की वैल्यूएशन 50 गुना तक बड़ी है.

सर रतन टाटा अपनी कुल संपत्ति का 65% पैसा लोगों की मदद करने के लिए दान के रूप में समर्पित कर चुके हैं.

रतन टाटा अपनी कुल संपत्ति का 65% हिस्सा दान करने की वजह से दुनिया के टॉप मोस्ट रिचेस्ट लोगों की लिस्ट में शामिल नहीं हो पाते।

रतन टाटा दिल से बेहद अमीर व्यक्ति माने जाते हैं, जिस वक़्त मुंबई में 26/11 का आतंकी हमला हुआ था उस वक़्त रतन टाटा ने मुसीबत में फंसे लोगों की बहुत मदद करी थी.

उस वक़्त ताज होटल में जितने भी लोग घायल हुए थे उनका इलाज़ रतन टाटा ने ही करवाया था.

ताज होटल के आस पास ठेला और होटल वालों को जितना भी नुक्सान हुआ था उनका हर्जाना देने के लिए भी टाटा ग्रुप ही आगे आया था

26/11 के हमले में ताज होटल में काम करने वाले स्टाफ की सैलरी रतन टाटा ने ही दी थी जब तक होटल बंद रहा तब तक के लिए।

टाटा ग्रुप अपनी 100 कंपनियों के साथ पूरी दुनिया में 5वीं सबसे बड़ी कंपनी है, इसमें टाटा टी, 5 स्टार होटल्स, टाटा स्टील, कार, एयरोप्लेन इत्यादि शामिल हैं.

 

RATAN TATA AWARDS & ACHIEVEMENTS

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रतन टाटा को वर्ष 2000 में भारत सरकार की तरफ से पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. ये भारत सरकार की तरफ से दिया जाने वाला तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान होता है,

जिसे रतन टाटा को देश में उनके बहुमूल्य योगदान के लिए दिया गया था.

साल 2008 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. ये भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है. जिसे रतन टाटा को देश के लिए असैनिक क्षेत्रों में बहुमूल्य योगदान के लिए दिया गया.

इसके अलावा उन्हें मिले पुरस्कार की लिस्ट निचे दी गयी है :

YEARAWARDORGANISATION
2001HONORARY DOCTORATE FOR BUSINESS ADMINISTRATIONOHIYO UNIVERSITY
2004MEDAL OF THE ORIENTAL REPUBLIC OF URUGUAYGOVT. OF URUGUAY
2004HONORARY DOCTORATE OF TECHNOLOGYASIAN INDIAN INSTITUTE OF TECHNOLOGY
2005HONORARY DOCTORATE OF SCIENCEUNIVERSITY OF WARWICK
2006HONORARY DOCTORATE OF SCIENCEINDIAN INSTITUTE OF TECHNOLOGY OF MADRAS
2007HONORARY FELLOWSHIPLONDON SCHOOL OF POL.SCIENCE & ECONOMICS
2007CARNEGIE MEDAL OF PHILANTROPHYCARNEGIE ENDOWMENT FOR INTERNATIONAL PEACE
2008LEADERSHIP AWARDLEADERSHIP AWARD
2008HONORARY DOCTORATE OF LAWSCAMBRIDGE UNIVERSITY
2008HONORARY DOCTORATE OF SCIENCEINDIAN INSTITUTE OF TECHNOLOGY MUMBAI
2008HONORARY CITIZEN AWARDGOVT. OF SINGAPORE
2008HONORARY FELLOWSHIPINSTITUTE OF ENGINEERING & TECHNOLOGY
2009HONORARY KNIGHT COMM. OF THE ORDER OF THE BRITISH EMPIREUNITED KINGDOM
2009LIFETIME CONTRIBUTION AWARD IN ENGG. FOR 2008ENGG. INDIAN NATIONAL ACADEMY
2009GRAND OFFICER OF THE ORDER OF MERIT OF THE ITALIAN REPUBLICGOVT. OF ITALY
2010HONORARY DOCTORATE OF LAWSCAMBRIDGE UNIVERSITY
2010HADRIAN’S PRIZEWORLD MONUMENT FUND
2010OSLO BUSINESS FOR PEACE AWARDBUSINESS FOR PEACE ESTABLISHMENT
2010LEGEND AWARD FOR LEADERSHIPYALE UNIVERSITY
2010HONORARY DOCTORATE OF LAWSPEPPERDINE UNIVERSITY
2010BUSINESS LEADER OF THE YEARASIAN AWARD
2012HONORARY FELLOWSHIPROYAL ACADEMY OF ENGINEERING
2012HONORARY DOCTORATE OF BUSINESSNEW SOUTH WALES UNIVERSITY
2013FOREIGN ASSOCIATESNATIONAL ACADEMY OF ENGINEERING
2013LIFETIME ACHIEVEMENT FOR ERNST AND YOUNG ENTREPRENEUR OF THE YEARERNST & YOUNG
2013HONORARY DOCTORATE OF BUSINESS PRACTICECARNEGIE MELLON UNIVERSITY
2013HONORARY DOCTORATEAMSTERDAM UNIVERSITY
2014HONORARY DOCTORATE FOR BUSINESSSINGAPORE MANAGEMENT UNIVERSITY
 HONORARY KNIGHT GRAND CROSS OF THE ORDER OF THE BRITISH EMPIREUNITED KINGDOM
 HONORARY DOCTORATE OF LAWSNEW YORK UNIVERSITY, CANADA
2015HONORARY DOCTORATE OF AUTOMOTIVE ENGINEERINGCLEMSON UNIVERSITY
2015SAYAJI RATNA AWARDBARODA MANAGEMENT ASSOCIATION, HONORIS CAUSA, HEC PARIS
2016Commander of the Legion of HonorGOVT. OF FRANCE
2018HONORARY DOCTORATESWANSEA UNIVERSITY
2022HONORARY DOCTORATE OF LITERATUREHSNC UNIVERSITY
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ratan tata quotes in hindi

 

“सही कार्य करने के लिए समय हमेशा ही सही होता है”

“सत्ता और धन दोनों ही मेरे प्रमुख सिद्धांत नहीं हैं”

“अगर आप तेजी से चलना चाहते हैं तो अकेले चलिए लेकिन अगर आप दूर तक चलना चाहते हैं तो साथ मिलकर चलिए”

“मैं सही डिसीजन लेने में विश्वास नहीं रखता, मैं पहले डिसिशन लेता हूँ और फिर उन्हें सही साबित करता हूँ”

conclusion

 

दोस्तों यदि आप यहां तक पहुंच गए हैं तो उम्मीद है आपने सर रतन टाटा के बारे में बहुत कुछ जान लिया होगा।

उनकी जीवन से हमे जो सबसे बड़ी सीख मिलती है वो ये है

की जीवन में चाहे आप कितना भी पैसा शोहरत कमा लें लेकिन इंसानियत के आगे सब फीका है

और यदि आप खुद में यकीन रखते हैं तो चाहे कितनी भी बड़ी से बड़ी मुश्किल आ जाए

आप उसका सामना करने से नहीं घबराते एवं कर्मठ व्यक्ति कभी रुकना नहीं जानते

वे हर वक़्त कुछ ना कुछ करते रहते हैं जैसे की हमारे प्रिये रतन टाटा जी।

तो यदि हमें भी अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल करना है मगर सादगी को अपनाये रखना है

तो हमे सर रतन टाटा की बायोग्राफी से बेहतर और कुछ नहीं मिल सकता सिखने के लिए।

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